Trump Vs Harvard | Donald Trump Harvard University Funding Ban Controversy | ट्रम्प ने हार्वर्ड की ₹18 हजार करोड़ की फंडिंग रोकी: यूनिवर्सिटी पर कंट्रोल चाहते थे ट्रम्प, हार्वर्ड ने इनकार किया

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वॉशिंगटनकुछ ही क्षण पहले

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोमवार को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपए) की फंडिंग रोक दी है।

यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि हार्वर्ड ने व्हाइट हाउस की उन मांगों को मानने से इनकार कर दिया, जिनका मकसद कैंपस में यहूदी-विरोधी गतिविधियों पर सख्ती करना था।

दरअसल, ट्रम्प प्रशासन ने 3 अप्रैल को यूनिवर्सिटी के सामने मांग रखी थीं कि यूनिवर्सिटी के गवर्नेंस, एडमिशन और हायरिंग प्रोसेस पर सरकार को नियंत्रण दिया जाए और इनमें बड़ा बदलाव किया जाए।

इसके अलावा डाइवर्सिटी ऑफिस बंद करने और अंतरराष्ट्रीय छात्रों की जांच में इमिग्रेशन अधिकारियों से सहयोग करने की मांग भी रखी गई थी।

हार्वर्ड ने इन मांगों को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद सोमवार रात को ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड को बताया कि उसकी 2 अरब डॉलर से ज्यादा की फेडरल फंडिंग रोक रहा है।

अक्टूबर 2023 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीन के समर्थन और इजराइल के विरोध में हुई रैली।

अक्टूबर 2023 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में फिलिस्तीन के समर्थन और इजराइल के विरोध में हुई रैली।

हार्वर्ड प्रेसिडेंट बोले- हम सरकार के आगे नहीं झुकेंगे

हार्वर्ड प्रेसिडेंट एलन गारबर ने छात्रों और फैकल्टी को लिखे पत्र में कहा कि यूनिवर्सिटी सरकार के आगे नहीं झुकेगी और अपनी स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगी।

गारबर ने कहा कि कोई भी सरकार, या सत्ता में बैठी कोई भी पार्टी हो, वह यह तय नहीं कर सकती कि प्राइवेट यूनिवर्सिटी क्या पढ़ा सकती हैं, किसे दाखिला या नौकरी दे सकती हैं, और कौन से सब्जेक्ट्स पर पढ़ाई या रिसर्च कर सकते हैं।

इसके जवाब में ट्रंप की ‘जॉइंट टास्क फोर्स टू कॉम्बैट एंटी-सेमिटिज्म’ ने बयान जारी कर कहा कि हार्वर्ड को मिलने वाली 2.2 अरब डॉलर की मल्टी-ईयर ग्रांट और 6 करोड़ डॉलर की सरकारी कॉन्ट्रैक्ट की फंडिंग रोक दी गई है।

जॉइंट टास्क फोर्स ने अपने स्टेटमेंट में कहा-

हार्वर्ड का बयान हमारे देश की सबसे बेहतर यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में फैली एक चिंताजनक मानसिकता को दर्शाता है। ये दिखाता है कि वे सरकारी फंडिंग तो पाना चाहते हैं, लेकिन कानूनों का पालन करने की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते हैं।

पिछले कुछ साल में कई कैंपस में पढ़ाई में रुकावटें आई हैं, जो हमें मंजूर नहीं हैं। यहूदी छात्रों का हैरासमेंट बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अब समय आ गया है कि ये टॉप यूनिवर्सिटीज इस समस्या को गंभीरता से लें और अगर वे टैक्सपेयर्स की तरफ से फंडिंग पाना जारी रखना चाहती हैं, तो ठोस बदलाव लाने के लिए तैयार रहें।

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Mint kapil

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