Parshuram Jayanti 2025: वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया पर परशुराम जयंती भी मनाई जाती है. भगवान परशुराम को शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है. भगवान शिव के परमभक्त परशुराम न्याय के देवता हैं.परशुराम जयंती इस साल 30 अप्रैल 2025 को है.
विष्णु जी के तमाम अवतारों की पूजा होती है लेकिन परशुराम जी, जो भगवान विष्णु का छठा अवतार है, इनकी पूजा अन्य देवी-देवताओं की तरह नहीं की जाती है. आखिर क्या है वो कारण जिसकी वजह से परशुराम जी को नहीं पूजा जाता. आइए जानते हैं –
कौन है परशुराम जी ?
परशुराम जी ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे और इन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है. माता-पिता ने इन्हें राम नाम दिया गया था, लेकिन भगवान शिव से इन्हें परशु नाम का अस्त्र मिला था और इसी कारण इनका नाम परशुराम प्रचलित हुआ. परशुराम जी के गुरु स्वयं भगवान शिव हैं. वहीं विश्वामित्र और ऋचीक को भी इनका गुरु माना जाता है. भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण परशुराम जी के शिष्य थे.
क्यों नहीं होती परशुराम जी की पूजा ?
भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ, लेकिन व्यवहार क्षत्रियों जैसा था. इन्होंने 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन किया था। यही नहीं इनके क्रोध से भगवान गणेश भी नहीं बच पाए थे. बेहद उग्र स्वभाव के कारण परशुराम जी की पूजा नहीं बल्कि उनका आव्हान किया जाता है.
शास्त्रों के अनुसार एक सामान्य प्राणी के लिए अधिक ऊर्जा को नियंत्रित करना मुश्किल है, और परशुराम जी विष्णु जी के उग्र अवतरा है, इनकी पूजा से अत्याधिक ऊर्जा प्राप्त होती है. यही वजह है कि गृहस्थ व्यक्ति या सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्ति इनकी पूजा नहीं करते.
सिर्फ यही लोग करते हैं परशुराम जी की पूजा
परशुराम जी शक्ति और वीरता के प्रतीक है ऐसे में योग-ध्यान से सिद्ध व्यक्ति या जो साहसिक कार्य करते हैं वह आज भी परशुराम जी का आवाहन करते हैं. परशुराम जी की पूजा करने से साहस में वृद्धि होती है, किसी भी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है.
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