चैत्र नवरात्रि 2025 दिन 4 मा कुशमांडा: नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित है. कहते हैं कि मां कूष्मांडा की उपासना से रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है.
देवी पुराण के अनुसार, विद्यार्थियों को नवरात्रि में मां कुष्मांडा की पूजा अवश्य करनी चाहिए. कहते हैं इससे उनकी बुद्धि का विकास होता है. मां कूष्मांडा की पूजा किस मुहूर्त में करें, क्या है पूजा की विधि, भोग आदि यहां देखें.
मां कूष्मांडा की पूजा का मुहूर्त
- चर (सामान्य) – सुबह 9.18 – सुबह 10.52
- लाभ (उन्नति) – सुबह 10:52 – दोपहर 12:25
- अमृत (सर्वोत्तम) – दोपहर 12:25 – दोपहर 1:59
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा करने के लिए सुबह उठकर स्नान कर मां कुष्मांडा का ध्यान कर कुमकुम, मौली, अक्षत, लाल रंग के फूल, फल, पान के पत्ते, केसर और श्रृंगार आदि श्रद्धा पूर्वक चढ़ाएं. ॐ देवी कुशमांडायई नामाह का पाठ करें.
साथ ही यदि सफेद कुम्हड़ा या उसके फूल है तो उन्हें मातारानी को अर्पित कर दें.माता कुष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए.
फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें.
मां कुष्मांडा की महीमा
भगवती पुराण में देवी कुष्मांडा को अष्टभुजा से युक्त बताया है. कूष्मांडा माता ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी, इसलिए इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है. कूष्मांडा माता का रूप बेहद ही शांत, सौम्य और मोहक माना जाता है.
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