Achaleshwar Mahadev Temple: महाभारत काल से जुड़ा है अचलेश्वर मंदिर का इतिहास, मंदिर में स्थापित है लाख किलो का घंटा

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सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे शुभ माना जाता है। ऐसे में सोमवार के दिन लोग भगवान शिव के मंदिरों में जाकर उनके दर्शन करते हैं। इसलिए आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर भगवान शिव के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति के भाग्य खुल जाते हैं। दरअसल, हम आपको ग्वालियर के अचलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि काफी प्राचीन और चमत्कारिक मंदिर है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको अचलेश्वर महादेव मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। यह मंदिर अपनी अनूठी विशेषताओं के लिए भी जाना जाता है।

मंदिर का इतिहास
अचलेश्वर मंदिर का इतिहास सदियों पुराना माना जाता है। बताया जाता है कि इस मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। लेकिन मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण कई चरणों में कराया गया है। इस मंदिर की प्राचीनता श्रद्धालुओं को आज भी अपनी ओर आकर्षित करती है।

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चमत्कारिक है मंदिर का शिवलिंग
अचलेश्वर महादेव मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यहां का शिवलिंग है। इस शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि इसको यहां से कई बार हटाने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई भी इसको हिला नहीं सका। बताया जाता है कि एक बार राजा ने इस शिवलिंग को हटाने के लिए हाथियों का भी प्रयोग किया था। लेकिन शिवलिंग टस से मस नहीं हुआ था। जिस कारण इस शिवलिंग को अचलेश्वर नाम दिया गया है। जिसका अर्थ है कि स्थिर।
पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
धार्मिक मान्यता है कि अचलेश्वर महादेव मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इसलिए यह मंदिर ग्वालियर और आसपास के क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान बन गया है।
धार्मिक महत्व
अचलेश्वर महादेव मंदिर न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस मंदिर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस मंदिर की खूबसूरती हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचती है। इस मंदिर में लाख किलो का घंटा स्थापित है। हर रोज हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। खासकर महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।

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Mint kapil

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