पोप फ्रांसिस डेथ न्यूज: ईसाई समुदाय के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. यह खबर न केवल वेटिकन सिटी बल्कि पूरे विश्व के लिए झटका लेकर आई. सेंट पीटर बेसिलिका की बालकनी से ईस्टर संडे के दिन पोप फ्रांसिस ने हजारों श्रद्धालुओं को “हैप्पी ईस्टर” कहकर शुभकामनाएं दीं, यह उनके अंतिम सार्वजनिक शब्द बन गए.
इस दृश्य को कैमरे ने कैद कर लिया और यह तस्वीर अब इतिहास का हिस्सा बन चुकी है. उन्होंने भले ही ईस्टर प्रार्थना में भाग न लिया हो, लेकिन उनकी उपस्थिति ने सभी को भावविभोर कर दिया.
डबल निमोनिया से लड़ रहे थे जंग
पोप फ्रांसिस का स्वास्थ्य लंबे समय से चिंता का विषय रहा था. बचपन में ही उनके एक फेफड़े को हटाया गया था, और वे पूरी उम्र सिर्फ एक फेफड़े के सहारे जीवन जीते रहे. हाल ही में उन्हें डबल निमोनिया की शिकायत हुई, जिसके बाद उन्हें रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां वे 38 दिनों तक इलाज में रहे, लेकिन अंततः शरीर ने साथ देना बंद कर दिया. उनकी उम्र और पुरानी बीमारी की वजह से उनकी स्थिति और भी गंभीर हो गई थी. फिर भी, उन्होंने अपनी आखिरी सांस तक धर्म और मानवता की सेवा की.
कैसे होगा पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार?
पोप फ्रांसिस ने हमेशा परंपरा को आधुनिकता के साथ संतुलित किया. जहां पहले पोप के अंतिम संस्कार में तीन ताबूतों का उपयोग होता था, अब नियम बदले गए हैं. अब उनके निधन के तुरंत बाद शरीर को ताबूत में रखा जाएगा, और फिर आम जनता को दर्शन की अनुमति दी जाएगी. इसके बाद 9 दिन का शोक काल भी मनाया जाएगा. खास बात यह है कि
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, मैक्सिकन प्रसारक ने बताया है कि पोप फ्रांसिस ने सेंट पीटर की कब्र में नहीं, बल्कि रोम की सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में दफन होने की इच्छा जताई थी. संभावना है कि उनकी इस अंतिम इच्छा का सम्मान किया जाएगा. दफन की प्रक्रिया के दौरान एक 1000 शब्दों का दस्तावेज तैयार किया जाता है, जिसमें उनके पोप कार्यकाल, फैसलों और योगदानों का वर्णन होता है. यह दस्तावेज़ इतिहास के लिए सहेज कर रखा जाता है. कभी अर्जेंटीना के साधारण से पादरी रहे पोप फ्रांसिस ने अपनी विनम्रता, करुणा और समानता के संदेशों से पूरे ईसाई जगत को जोड़ने का कार्य किया. वे केवल पोप नहीं, बल्कि एक प्रेरणा स्रोत बन गए थे.