प्रवर्तन निदेशालय (ED) शिमला ने बड़ी कार्रवाई करते हुए लगभग 289 करोड़ रुपये की संपत्ति बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को वापस कर दी है. ये संपत्ति M/s Indian Technomac Co. Ltd (ITCOL) केस से जुड़ी हुई है, जिसमें कंपनी और उसके डायरेक्टर्स पर बैंकों से लिए गए लोन का गलत इस्तेमाल करने का आरोप था.
ईडी की जांच CID हिमाचल प्रदेश पुलिस की ओर से दर्ज FIR के आधार पर शुरू की गई थी. FIR में कहा गया था कि ITCOL के डायरेक्टर्स ने कुछ कंपनियों के स्टाफ और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के साथ मिलकर बैंकों से लोन लेकर उसे इधर-उधर कर दिया. ED की जांच में सामने आया कि साल 2009 से 2013 के बीच ITCOL ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम से लोन लिया. इसके लिए कंपनी ने फर्जी प्रोजेक्ट रिपोर्ट दिखाई और नकली सेल्स दिखाकर बैंकों को गुमराह किया. इसके बाद जो लोन मिला, उसे उस काम में नहीं लगाया गया जिसके लिए वो मंजूर किया गया था.
ED ने 289 करोड़ की संपत्ति की थी अटैच
केंद्रीय जांच एजेंसी ने साल 2019 में 289 करोड़ की संपत्ति अटैच की थी, जिसमें इम्मूवेबल प्रॉपर्टीज (अचल संपत्ति) सिरमौर (हिमाचल प्रदेश) और हौज खास (नई दिल्ली) में जमीन के टुकड़े जिनकी वैल्यू करीब 190.95 करोड़ रुपये है भी शामिल थी. इसके अलावा केंद्रीय जांच एजेंसी ने मूवेबल प्रॉपर्टीज (चल संपत्ति) सिरमौर स्थित प्लांट और मशीनरी, जिसकी वैल्यू करीब 97.96 करोड़ रुपये है उसे भी अटैच किया था.
कोर्ट के आदेश पर ईडी ने बैंक कंसोर्टियम को लौटाई संपत्ति
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) कानून के तहत ED ने कोर्ट में एक नो-ऑब्जेक्शन सबमिट किया ताकि ये संपत्ति असली और सही दावेदारों को वापस की जा सकें. इस पर PMLA के स्पेशल जज शिमला ने आदेश दिया कि अटैच की गई प्रॉपर्टीज को बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को रेस्टोर (वापस) किया जाए.
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