
शिमला के ऐतिहासिक जाखू मन्दिर में हनुमान जन्मोत्सव की धूम है. सुबह चार बजे से मंदिर में हनुमान जी के दर्शनों के लिए भक्तों कि कतारें लगी हुई है. हवन और यज्ञ के साथ शुरुआत पवित्र दिन की शुरुआत हुई.

मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए, हनुमान की संजीवनी लेने द्रोण पर्वत पर गए.

हिमालय की ओर जाते हुए हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. हनुमान जाखू में उतरे कहा जाता है कि ये पर्वत काफी ऊंचा था लेकिन जब हनुमान इस पर्वत पर उतरे तो उनके भार से पर्वत दब गया. हनुमान जी ने यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया.

हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापिस लौटते समय भगवान हनुमान को देर हो गई. जिसके चलते हनुमान छोटे मार्ग से चले गए.

कहा जाता है कि ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न लौटने से व्याकुल हो गए . ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए. इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा.

आज सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट खुल खुलने के बाद बजरंगबली का शृंगार किया गया आरती हुई. बजरंगबली के लिए डेढ़ क्विंटल रोट का भोग बनाया गया है.
पर प्रकाशित: 12 अप्रैल 2025 11:02 AM (IST)