
दिल्ली कैपिटल्स
आईपीएल का ये सीजन अब अपने आधे पड़ाव पर पहुंचने वाला है। टीमों ने पांच से लेकर सात मुकाबले खेल लिए हैं। इस बीच अगर अंक तालिका पर नजर डालें तो इस बार कुछ अलग ही कहानी नजर आ रही है। इस वक्त गुजरात टाइटंस की टीम टॉप पर है, लेकिन जीटी की ही तरह कुल पांच टीमें आठ आठ हासिल कर चुकी हैं। इसमें कई ऐसी टीमें हैं, जो अब तक एक भी बार आईपीएल का खिताब अपने नाम नहीं कर पाई हैं। तो क्या इस बार आईपीएल को नया चैंपियन मिलने वाला है। इसकी संभावना अभी तक तो काफी ज्यादा दिख रही है।
इस वक्त कुल पांच टीमों के पास आठ अंक
शुभमन गिल की कप्तानी वाली गुजरात टाइटंस की टीम इस वक्त अंक तालिका में आठ अंक लेकर टॉप पर है। गुजरात टाइटंस के अलावा दिल्ली कैपिटल्स, आरसीबी, पंजाब किंग्स और एलएसजी के भी आठ आठ अंक हैं। यहां पर अंतर केवल नेट रन रेट का है। यानी कुल मिलाकर पांच टीमें बराबर अंक हासिल कर चुकी हैं। खास बात ये है कि इन 5 में से चार टीमें ऐसी हैं, जो अभी तक एक भी बार आईपीएल का खिताब नहीं जीत पाई हैं। गुजरात टाइटंस ने साल 2022 में हार्दिक पांड्या की कप्तानी में ट्रॉफी जीती थी। लेकिन दिल्ली, बेंगलुरु, पंजाब की टीम में तो पहले आईपीएल से अब तक एक अदद खिताब के लिए तरस रही हैं। एलएसजी की टीम तो नई है, लेकिन फिर भी उसे चार साल हो गए हैं।
सबसे ज्यादा आईपीएल ट्रॉफी जीतने वाली टीमें इस बार फिसड्डी
मजे की बात ये है कि जिस चेन्नई सुपरकिंग्स ने अब तक पांच बार आईपीएल जीता है, वो इस वक्त दसवें नंबर पर है। मुंबई इंडियंस ने भी पांच ही बार खिताब अपने नाम किया है, वो भी अभी सातवें स्थान पर है। सनराइजर्स हैदराबाद और राजस्थान रॉयल्स ने एक एक बार आईपीएल जीता है, वे भी नीचे चल रहे हैं। केकेआर तीन बार की आईपीएल विजेता है, ये टीम अभी अंक तालिका में छठे स्थान पर है।
18 साल इंतजार कर रही टीमों का भग्य इस बार खुल सकता है
जो पांच टीमें अभी तक आठ अंक हासिल कर चुकी हैं, उसमें से दो से तीन टीमें तो कम से कम प्लेऑफ में जाती हुई दिख ही रही हैं। लेकिन इसके लिए इन टीमों को अपना यही प्रदर्शन जारी रखना होगा, जो इस वक्त चल रहा है। अगर ऐसा हुआ तो इस बात की संभावना काफी ज्यादा है कि इस दफा नया चैंपियन मिल जाए। वैसे भी बेंगलुरु, पंजाब और दिल्ली की टीमें 18 साल से आईपीएल खेल रही हैं, लेकिन इसके बाद भी अभी तक एक भी बार खिताब को हाथ नहीं लगा पाई हैं। क्या पता इस बार कुछ करिश्मा हो जाए, जो अब तक हुआ ही नहीं है।