कनाडा चुनाव परिणाम: कनाडा के संसदीय चुनाव में लिबरल पार्टी और प्रधानमंत्री मार्क कार्नी की जीत हुई है. पूर्व पीएम जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व में लिबरल्स की हालत खराब थी लेकिन मार्क कार्नी के आने के बाद इसमें सुधार आया और पार्टी ने जीत हासिल की. वहीं, खालिस्तानियों को बड़ा झटका लगा है. अलगाववादी नेता जगमीत सिंह चुनाव हार गए. इन्ही के चलते जस्टिन ट्रूडो ने भारत से संबंध खराब किए थे.
लिबरल्स फिलहाल 167 सीटों पर आगे चल रहे हैं, जबकि कंजर्वेटिव 145 सीटों पर आगे हैं. हालांकि वोटों की गिनती अभी भी जारी है, लेकिन लिबरल्स को 343 सीटों वाले हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत के लिए आवश्यक 172 सीटों से अभी भी कमी है. पियरे पोलीव्रे की कंजर्वेटिव पार्टी ने हार स्वीकार कर ली है.
क्या टूटेगी खालिस्तानी एजेंडे की कमर?
कहा जा रहा है कि इस बार भारतीय समुदाय ने खालिस्तानी एजेंडे के खिलाफ वोट दिया और इसी वजह से जगमीत सिंह की हार हुई है. वहीं, जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल्स की भी स्थिति में सुधार आया. ट्रूडो की विदेश नीति का उनकी पार्टी के अंदर ही विरोध देखने को मिला. भारत को लेकर कार्नी का रुख ट्रूडो से बहुत अलग है. उनका कहना है कि वो भारत के साथ संबंध सुधारने पर ध्यान देंगे.
कार्नी का भारत से रिश्ते सुधारने पर जोर
निज्जर हत्याकांड पर उन्होंने कहा था कि भारत-कनाडा के बीच संबंध बिगड़े हैं लेकिन ये रिश्ते कई स्तरों पर जरूरी हैं. हमारे पास सम्मान के साथ इस रिश्ते को फिर से सुधारने का मौका है. रिश्तों में तनाव है, जो हमने पैदा नहीं किया है. दुनिया की अर्थव्यवस्था हिली हुई है, ऐसे में दोनों देश बड़ी भूमिका निभा सकता है.
चुनाव अभियान के दौरान, कार्नी ने भारत जैसे ‘समान विचारधारा वाले’ देशों के साथ सहयोग करने की जरूरत पर बात की. कार्नी ने फरवरी में टोरंटो स्टार को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, “अलग व्यक्ति, अलग नीतियां, शासन करने का अलग तरीका.” कुछ समय पहले हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि नई सरकार बनते ही दोनों देश अपने उच्चायुक्तों को नियुक्त करने की सोच रहे हैं.
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