एड छापे: प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कोलकाता जोनल टीम ने 11 अप्रैल 2025 को एक बड़े डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड केस में कोलकाता, दिल्ली और बेंगलुरु के कई लोकेशनों पर छापेमारी की. ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई. इस दौरान टीम को कई अहम डॉक्यूमेंट्स और डिजिटल एविडेंस मिले हैं.
ED ने ये जांच कोलकाता पुलिस की तरफ से साइबर थाने में दर्ज FIR के आधार पर शुरू की थी. FIR में बताया गया था कि आरोपी लोग मिलकर एक गैंग चला रहे थे जो आम लोगों से पैसे ठगते थे. ये आरोपी खुद को CBI, कस्टम या दूसरी सरकारी एजेंसियों का अफसर बताकर लोगों को कॉल और WhatsApp करते थे. वो लोगों को डराते थे कि उनका नाम मनी लॉन्ड्रिंग में आ गया है और जल्द ही उनकी अरेस्ट और प्रॉपर्टी सीज हो सकती है.
आरोपियों ने दूसरों के नाम पर खोले फर्जी बैंक अकाउंट्स
इसके लिए आरोपी फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाते थे, जिन पर सुप्रीम कोर्ट, RBI, कस्टम और CBI के नकली लेटरहेड्स होते थे. ये डॉक्यूमेंट्स पीड़ितों के नाम पर बनाकर उनसे मोटी रकम ऐंठी जाती थी.
जांच में ये भी सामने आया है कि आरोपी लोगों ने कई फर्जी बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल किया जो दूसरों के नाम पर खोले गए थे. इन अकाउंट्स का इस्तेमाल लोगों से ठगे गए पैसे को इकट्ठा करने के लिए किया जाता था. पैसे को तुरंत ही कई दूसरे अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिया जाता था ताकि असली सोर्स छुपाया जा सके.
दो मास्टरमाइंड हो चुके अरेस्ट
इस केस में पहले ही ED ने दो मास्टरमाइंड्स योगेश दुआ (दिल्ली निवासी) और चिराग कपूर उर्फ चिंतक राज (बेंगलुरु निवासी) को 4 अप्रैल 2025 को अरेस्ट कर लिया था. दोनों को ED की कस्टडी में रखा गया था और अब वो जेल में हैं. ED की जांच अब भी जारी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में और खुलासे हो सकते हैं.
ये भी पढ़ें:
नेशनल हेराल्ड को लेकर गांधी परिवार पर भड़की बीजेपी, पूछा- अपनी विरासत क्यों नहीं बचा पाई कांग्रेस?